बाड़ी । राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी विधानसभा के बाड़ी क्षेत्र में राजस्थान परिवहन निगम की ओर से विभिन्न मार्गों पर संचालित अधिकांश सरकारी और अनुबंधित बसों का हाल बेहाल है. बसे खटारा होने से आए दिन रास्तों में बंद हो जाती है, तो कभी टायर फूटने तो कभी नियंत्रण नहीं रहने से यात्रियों की जान जोखिम में आ जाती है.
कहने को तो धौलपुर से वाया बाड़ी होकर करोली, हिंडौन, जयपुर, बयाना आदि रूटों पर लगभग 60 से 70 बसों का प्रतिदिन आवागमन होता है, जिसमें अधिकांश बसे बदहाल और खटारा है, जिनमें कईयों की खिड़कियों पर शीशे नहीं है, कइयों की सीटें फटी हुई है, यहां तक की बिना साफ-सफाई के इन बसों में गन्दगी फैली रहती है.
कहने को तो किसी रूट पर निकलने से पहले चालक, परिचालक को डिपो में बसों की पूरी तरह सर्विस कर लेनी चाहिए, जिससे बस रास्ते मे खराब ना हो और गंतव्य तक सुरक्षित यात्रियों को पहुंचा सके, लेकिन इसके विपरीत विभाग के चालक-परिचालक बसों की सर्विसिंग, मरम्मत आदि की अनदेखी कर बसों का आवागमन करते है, जिसके चलते यात्रियों को जोखिम उठाकर यात्रा करनी पड़ती है.
रविवार एक बस जो बाड़ी से जयपुर के लिए रवाना हुई जिसका नम्बर 6390 है. चालक-परिचालक की लापरवाही और लालच का आलम यह था कि लंबे रूट की गाड़ी होने के बावजूद सीटो के अतिरिक्त सवारियों को भेड़, बकरियों की तरह भर लिया, जब सवारियों से भरकर बस जयपुर के लिए रवाना हुई तो वह रास्ते मे खराब हो गई, बस के खराब होने पर चालक परिचालक ने गैर जिम्मेदाराना तरीके से सवारियों को उतारकर यह कहकर रवाना हो गए कि दूसरी बस आए तो बैठ जाना, ऐसे में इस बस में सफर करने वाली अकेली महिलाएं, छात्राएं, बुजुर्ग, अपने सामान के साथ काफी परेशान और असुरक्षित रहे.
रोडवेज कर्मियों की इस तरह की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली अक्सर देखने को मिलती है. रोडवेज में सफर करने वाले दैनिक यात्री विक्रांत कर्णावत, जितेंद्र सिंह ने बताया कि रोडवेज यात्रियों से किराया पूरा वसूलती है, लेकिन यात्रा के लिए बसे खटारा और बदहाल उपलब्ध कराती है जिसमें लोगों को मजबूरीवश यात्रा करनी पड़ती है. दो दिन पूर्व एक रोडवेजकर्मी ने खटारा बसों को लेकर एक वीडियो वायरल किया था, जिस पर विभाग ने व्यवस्थाओं में सुधार करने के बजाय रोडवेजकर्मी को ही सस्पेंड कर दिया.
धोलपुर डिपो से जिन बसों का संचालन होता है, या अनुबंध पर चल रही है. इनमें अधिकतर बसों का हाल तो यह है कि वो मार्ग पर चलने के लायक ही नहीं है लेकिन विभाग फिर भी उन्हें जबरदस्ती घीस रहा है. गन्तव्य को जाने वाली रोडवेज की बस कब खराब हो जाए या फिर कब नियंत्रण से बाहर हो जाए, यही कारण है कि यात्रियों को सदैव सुरक्षित सफर को लेकर अंदेशा बना रहता है.