धौलपुर । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वतंत्रता सेनानी स्व. डॉ. मंगलसिंह जिला चिकित्सालय कांग्रेस सरकार के बड़े बड़े दावों की पोल खोल रहा है। इसका खुलासा आरटीआई
कार्यकता एवं पत्रकार को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तति मिली जानकारी
और रोगियों के परिजनों से बात कर बनाई वीडियो फिल्म से हुआ है।जानकारों का आरोप है कि रोगियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए आगरा या ग्वालियर स्थित प्राईवेट हॉस्पीटल के लिए रेफर किया जाता है, जबकि राज्य सकार ने बेहत्तर चिकित्सा के लिए रोगी को सरकारी एम्बुलेंस से जयपुर स्थित एसएमएस हॉस्पीटल में भिजवाने का प्रावधान कर रखा है, मगर मोटे कमीशन के चलते संबंधित चिकित्सक रोगी के परिजनों में भय उत्पन्न कर उन्हें आगरा या ग्वालियर के प्राईवेट हॉस्पीटल में इलाज की सलाह देते हैं सहमत हो जाने पर चिकित्सालय के बाहर खड़ी प्राईवेट एम्बुलेंस के चालक तुरंत रोगी के परिजन से संपर्क कर रोगी को अन्यंत्र ले जाते हैं और मुंह मांगा किराया वसूल करने के साथ-साथ हॉस्पीटल संचालक से भी कमीशन ले लेते हैं। इतना ही नहीं प्राईवेट हॉस्पीटल का
संचालक रेफर करने वाले चिकित्सक को भी प्रति माह मोटा सुविधा शुल्क अदा करता है।
यह मिली सूचना रोगियों के इलाज के लिए चिकित्सालय के मेल वार्ड में 6° और फीमेल वार्ड में 47 पलंग हैं वाडरें में दुर्गंध के चलते पलंगों के आसपास व वार्ड में सफाई का अभाव देखा जा सकता है वहीं पलंगों पर साफ-सुथरी चद्दरें नजर नहीं आती हैं आरटीआई के जरिए चाही गई सूचना में बताया है कि हॉस्पीटल में पलंगों पर बिछाने के लिए धुलाई गई चद्दरों की सूचना उपलब्ध नहीं है। वहीं साफ सफाई के लिए सफाईकमियों को किए गए भुगतान की सूचना भी शून्य बताई गई है। इतना ही नहीं अपशिष्ट को बड़े बेगों में पेक कर बाहर ले जाने के लिए प्लास्टिक
के बेग खरीदने की सूचना भी नहीं दी गई है।
पीएमओ की सुरक्षा के लिए 4 कमांडो
चिकित्सालय के इतिहास में पहली बार पीएमओ की सुरक्षा के लिए सरकारी खर्चे पर 4
सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जबकि राज्य सरकार बढ़ते खर्चों और दबते कर्ज तले
मितव्यतता की बात कहते नहीं थक रही है। नाम नहीं बताने की शर्त पर हॉस्पीटल के ही
कर्मचारी बताते हैं कि जब से डॉ. समरवीरसिंह को पीएमओ के पद पर तैनात किया है,
प्रशासनिक व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। रोगियों के परिजनों से खुले आम सुविधा शुल्क की
मांग की जाने लगी है। नि: शुल्क दी जाने वाली जीवनरक्षक औषधियों का कोई हिसाब किताब नहीं है। परिचित लोग बिना पर्चे के महंगी औषधियां ले जाते हैं, जिसके बारे में पीएमओ को जानकारी ही नहीं है।
विरोधियों के खिलाफ एफआईआर चिकित्सकों व चिकित्सालय की व्यवस्थाओं का विरोध करने वालों के खिलाफ राजकाज में बाधा पहुंचाने व मारपीट कर कानून एवं शांति व्यवस्था करने के आरोप में मिथ्या एवं मनगढंत एफआईआर दर्ज कर भयभीत किया जाता है। पिछले दिनों 2 पत्रकारों के खिलाफ कोतवाली पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
भ्रामक जानकारी देने का आरोप
जानकार आरोप लगाते हैं कि सुविधा शुल्क के लालच में रोगी के परिजनों को भ्रामक
जानकारी देकर रोगी को आगरा ग्वालियर के प्राईवेट हॉस्पीटलों में इलाज कराने की सलाह दी
जाती है या फिर निवास स्थान पर मिलने के लिए कहा जाता है और वहां प्राईवेट दुकान से
औषधियां खरीदने के लिए विवश किया जाता है।
इन व्यवस्थाओं पर भी उठाए सवाल
आगांतुक स्वतंत्रता सेनानी स्व. डॉ. मंगलसिंह जिला चिकित्सालय की इन व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाते हैं। चिकित्सालय के अंदर अनियमित तौर तरीके से खाद्य पदार्थों कैंटीन, जच्चा वार्ड में लिफ्ट का अभाव, रोगियों को लाने व ले जाने के लिए वील चेयरों व स्ट्रेचरों का अभाव पार्किंग में मनमानी बड़ी बात वील चेयरों व स्ट्रेचरों को लाने लेजाने के लिए वार्ड बॉय का अभाव बताया है। वहीं अव्यवस्थाओं को उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ
एफ. आई आर दर्ज कराने की बात कही है।