स्कूली बच्चों को बांट दिया घूना हुआ चना, आ रही थी थाईमेट की बू

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परसवाङा-
चार माह से गोदाम में पड़े-पङे खराब हुआ चना प्राथमिक शाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों को वितरण किए जाने का मामला सामने आया है जहां ग्रामीणों ने पहुंचकर खराब चने का वितरण छोटे बच्चों को किये जाने की शिकायत जिला कलेक्टर और सहायक आयुक्त से की है !

बांट दिया घूना हुआ खराब खराब चना-
मामला परसवाड़ा अन्तर्गत ग्राम डोंगरिया के अधीन लक्ष्मीटोला का है जहां पर बीते दिवस ग्राम के ही प्राथमिक शाला में पढ़ने वाले नन्हे नौनिहालों को दवाओं और इल्ली युक्त घूना हुआ चना बिना किसी जांच-पड़ताल के धड़ल्ले से विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर बांट दिया गया ! खराब चने के वितरण की खबर जब ग्रामीणों को लगी तो ग्रामीणों का हुजूम ग्राम के प्राथमिक शाला में जा पहुंचे जहां खराब चने के वितरण किए जाने पर नाराजगी जाहिर की गई तथा जिला पंचायत सदस्य टामेश्वर पटले ने वितरण किए गए चने का सैंपल लेकर जिलाधीश सहित खाद्य विभाग और जनजाति विभाग के सहायक आयुक्त को मामले की शिकायत की है !

विभागीय निर्देश पर किया था वितरण- 
मामले पर ग्राम लक्ष्मीटोला के स्कूल मे मध्यान भोजन चलाने वाले ग्रामीण नानकराम चौहान ने बताया कि वितरण के लिए हमारे पास 15 दिन पहले चना आया था, स्कूल के शिक्षक खान सर के माध्यम से कहा गया था, की चना आया है जो कि वितरण किया जाना है ! सोसाइटी के गोदाम में 4 महीने पूर्व से रखा हुआ चना खराब हो चुका था ! जिसे हमारे द्वारा बिना आदेश के वितरण नहीं करेंगे कहा गया था ! जिसके बाद चना पढ़ा रहा जिसमें काले कीड़े लग चुके थे, जिसके बाद विभागीय निर्देशों की दुहाई देकर हमसे वितरण कराया गया है चने में काले रंग के कीड़े लग चुके हैं चना पूरी तरह खराब है बच्चों के खाने से उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान हो सकता है ! 
मामले पर स्कूल के शिक्षक वसीम खान का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार यहां वितरण के लिए चना आया था सोसाइटी से समूह वालों ने चना लाया और बांट दिया बाद में पता चला कि उससे बू आ रही थी, देखा तो चना काफी खराब है खराब चने की जानकारी जनशिक्षक को दिया गया था जिनके द्वारा बीआरसी और उच्चाधिकारियों से बातचीत के बाद वितरण किया गया था ! चना पूरी तरह से खराब है पर इसमें क्या मिला है यह मेरी नॉलेज में नहीं ! 30 से 31 बच्चों को इस चने का वितरण किया गया था ग्रामीणों के निर्देश पर वापस किया गया है ! 

कलेक्टर से की मामले शिकायत
मामले पर जिला पंचायत सदस्य टामेश्वर पटले ने बताया कि ग्राम भ्रमण में पहुंचे थे इसी बीच स्कूली से चना ले जाने वाली बच्ची के चने की थैली खोल कर देखा गया उसमें थाइमेट की बू आ रही थी, आनन-फानन में बैठक समाप्त कर सभी ग्रामीण इस अंदेशे से स्कूल पहुंचे कि कोई बच्चा इसे खाना ले ! जिसके बाद स्कूल के शिक्षक को बुलवाया गया, जिन्होंने विभागीय निर्देश पर चना वितरण किये जाने की बात बताई ! उक्त चना जानवरों को खिलाने लायक भी नहीं है ! शाला के 32 बच्चों को जो 1-1 किलो वितरित किया चना वापस लिया गया है ! पूरा चना गोदाम मे 4 माह से पड़े पड़े खराब हो गया है जिसमे थाइमेट मिला हुआ है ! मौके पर पहुंचकर चने का सैंपल लेते हुए जिला कलेक्टर तथा उच्च अधिकारियों को शिकायत की गई है ! जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त राहुल नायक ने शिकायत पर मामले की जांच किए जाने की बात कही है वहीं उन्होंने हिदायत दी कि कोई बच्चा उक्त चने को ना खाने पाए सभी से वितरित किए गए चना वापस ले लिए जाएं ! 

तो क्या होगी कोई कार्यवाही ? 
चिंतनीय विषय है कि बिना जांच-पड़ताल के 4 माह तक बच्चों को बांटने वाला चना गोदाम में पड़ा पड़ा सड़ता रहा है जिसकी विभाग ने सुध तक नहीं ली, बिना जांच पड़ताल के ही सड़ा हुआ दवाओं से युक्त खराब चना लापरवाही पूर्वक नन्हे नौनिहालों को बांट दिया गया ! सोचने वाली बात है कि लापरवाही पूर्वक बांटे गए चने के वितरण से किस तरह की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी ! अब देखने वाली बात होगी कि शिकायत के बाद उक्त लापरवाही पर क्या कार्यवाही होती है या फिर वही ढाक के तीन पात !
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