शहडोल जिले में गठन से ही चर्चे मेरा ही नवगठित ब हो नगर परिषद एक बार फिर सुर्खियों में उस वक्त आ गई जब पी आई सी के तीन सदस्यों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया शुरू से ही घोटालों के लिए चर्चा में रही बको नगर परिषद का अब कुछ लोग घोटालों की नवगठित नगर परिषद के नाम से से भी जानने लगें है।
शहडोल//बकहो।सरकार ने विकास की कड़ी को जोड़ते हुए ग्राम पंचायत बकहो को नगर परिषद का दर्जा शायद यह सोच कर दिया होगा कि यहां की आबादी बहुत बड़ी है और नगर परिषद का दर्जा मिलने से क्षेत्र का विकास होगा लेकिन शुरू से ही घोटालों के लिए चर्चा में रहने वाली बकहो नगर परिषद मैं अभी भी विकास की घंटी बजती नहीं दिखाई दे रही है पहले यहां का विकास भारती घोटालों में उलझा रहा और अब राजनीतिक पिया पद को लेकर फिर से विकास उलझता दिखाई देने लगा है कहते हैं "सियासत मे जीत के बाद भी हार और हारकर भी जीत हो जाती है" बकहो नगरपरिषद गठित होने के बाद से अभी तक विवादों और निजी स्वार्थों में अटका हुआ है बात पार्षदी चुनाव के शोरगुल की हो या अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के बगावत की हो पूरा का पूरा मसला सुलझने की जगह और उलझता ही दिखाई दे रहा है ।
व्यक्ति विशेष को लाभ की चर्चा आम....
पिछले कार्यकाल में भारतीय घोटालों के बीच नगर परिषद का विकास रुका रहा और अब नए चुनाव के बाद एक नए मसले ने फिर जन्म लिया बड़ी उम्मीदों के साँथ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का चयन होने के बाद पीआईसी का गठन हुआ पर मतभेद अभी भी जारी है और बीते दिनों मतभेद ने ऐसा रूप लिया कि पीआईसी के तीन सदस्यों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया हलाकि इसके पीछे का कारण के बारे में खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा किंतु जानकरों का कहना है की इसके पीछे व्यक्ति विशेष को महत्व या लाभ भी एक वजह है
इन्होंने ने दिया इस्तीफा
पीआईसी की टीम से जिन लोगों ने सदस्यता त्यागा है उनमें वार्ड क्रमांक 9 की पार्षद अनीता सिंह,वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद ओमप्रकाश सोनी और वार्ड 14 से पिंकी सरोज यादव हैं हलाकि इन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे कारण जिक्र नही किया है पर अभी भी सियासत की आग बुझी नही है और आपसी अन्तर्कलह जारी है आगामी दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या परिषद 5 वर्ष इत्मिनान से स्वतंत्र होकर कार्य कर सकेगी या फिर ऐसे ही इस्तीफे के दौर जारी रहेंगे!
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