कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद मिला पीड़िता को न्याय..

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कलेक्टर की पहल पर..
अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी शर्त के न केवल मरीज को डिस्चार्ज किया बल्कि उसका बिल भी माफ कर दिया

(अस्पताल के खिलाफ केयर बाय कलेक्टर में की थी शिकायत)

जबलपुर मैं जबलपुर कलेक्टर सौरभ सुमन का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने छुट्टी वाले दिन भी हमारी फरियाद सुनते हुए हमें न्याय दिलवाया .... यह कहना है पीड़िता के परिवार के रमाकांत पटेल का* जो सिहोरा निवासी है उन्होने गेलैक्सी अस्पताल जहां पर महिला को दो दिन में सर्जरी करा देने के वादा कर अस्पताल उसे जबरन 10 दिनों के लिए भर्ती होने को मजबूर कर रहा था। जैसे ही अस्पताल की ज्यादती का पता पीड़िता के अन्य परिजनों को चला आनन फानन में अस्पताल के बाहर विवाद की स्थिति बनने लगी। इधर बिना किसी उपचार के अस्पताल अब पीड़िता के परिजनों को हजारों का बिल थमाने में उतारू हो गया। बाद में पीड़ित मरीज के परिजनों ने केयर बाय कलेक्टर के व्हाट्सएप नंबर 7587970500 पर  शिकायत दर्ज कराते हुए कलेक्टर से आप बीती सुनाई। इधर पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने भी तत्काल मामले में संज्ञान लिया। और अस्पताल प्रबंधन को आदेशित करते हुए मरीज को राहत पहुंचाई। कलेक्टर का आदेश आते ही गेलैक्सी अस्पताल की अक्ल ठिकाने लग गई । उन्होंने न केवल मरीज को डिस्चार्ज किया बल्कि 15 हजार 800 के बिल को भी माफ किया। और अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी शर्त के न केवल मरीज को डिस्चार्ज किया बल्कि उसका बिल भी माफ कर दिया। इधर पीड़ित परिजनों का कहना है कि  कलेक्टर साहब के हस्तक्षेप से ही पीड़िता की जान छुटी है

 जानिए क्या है पूरा मामला..?

पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के अनुसार नसों में दबाब के चलते सिहोरा निवासी 45 वर्षीय अनिता पटेल को दो दिन पूर्व उखरी तिराहा स्थित गेलैक्सी हॉस्पिटल में यह कहकर भर्ती किया गया था कि महज दो दिनों के अंदर उनका ऑपरेशन कर उपचार किया जाएगा। लेकिन डॉक्टर की उपलब्धता न हो पाने के कारण मरीज के 9 से 10 दिन बाद ऑपरेशन करने की बात कही गई। जिससे मरीज के परिजन बेहद घबड़ा गए। इस दौरान जब पीड़ित परिजनों ने किसी अन्य जगह पर ऑपरेशन करवाने की बात कही तो पहले अस्पताल प्रबंधन मरीज को कुछ हो जाने का भय दिखाने लगा।इसके बाद भी जब बात नहीं बनी तो अस्पताल प्रबंधन ने 16 हजार का बिल थमाते हुए मरीज को डिस्चार्ज करने की बात कही। इस दौरान बिना किसी उपचार किए हजारों का बिल दिए जाने को लेकर मरीज के परिजन बिफर गए। जिसके बाद अस्पताल और मरीज के परिजनों के बीच कहासुनी होने लगी।

 पीड़िता को जल्द से जल्द ऑपरेशन करवाने मिली थी सलाह.. 

बताया जा रहा है कि असहनीय दर्द और बीमारी के चलते मरीज महिला को पहले नागपुर में दिखाया गया था।जहां एमआरआई कराने के बाद वहां के डॉ विशाल डागरे द्वारा मरीज का जल्द से जल्द ऑपरेशन किए जाने की सलाह दी गई थी। इसके बाद मरीज ने जबलपुर के न्यूरो सर्जन डॉ प्रशांत कुशवाहा से सेकेंड ओपिनियन लिया। इस दौरान उन्होंने ने भी पीड़िता के जल्द ऑपरेशन की बात कही। जिसके बाद पीड़िता को गेलैक्सी अस्पताल ने 2 दिनों के अंदर ऑपरेशन करवा देने का वादा करते हुए भर्ती कर लिया था।

 आयुष्मान कार्ड के बावजूद 35 हजार में तय हुआ ठेका..

पीड़िता के परिजनों ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि गेलैक्सी अस्पताल प्रबंधन की ओर से दुर्गेश पटेल एवं अभय ठाकुर ने उनसे मुलाकात की।सारी बात होने के बाद उन्होंने कहा कि आपके आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन तो हो जाएगा।लेकिन इसके ऊपर से आपको 35 हजार रुपए भी देने होंगे। उन्होंने विश्वास दिलाया कि 2 दिनों के अंदर डॉक्टर आकर ऑपरेशन कर देंगे।  मरीज के परिजनों ने पीड़िता के ऑपरेशन जल्द किए जाने की बात को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन की हर शर्त को मंजूर कर लिया। कुल मिलाकर आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी ऑपरेशन के लिए 35 हजार की दलाली का ठेका अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज के परिजनों से किया गया।

 मरीज के भर्ती होते ही रंग दिखाने लगा अस्पताल प्रबंधन

 एक बार मरीज के भर्ती हो जाने के बाद अस्पताल किस तरह की मनमानी करता है।इसका  अंदाजा पटेल परिवार को कुछ ही घंटों में हो गया। शुरुवाती दौर में कॉल करके बुलाए गए न्यूरो सर्जन ने मरीज का हाल जाना लेकिन उसके बाद फिर मरीज से संपर्क तक नहीं किया। 2 दिन बाद मरीज के परिजनों को पता चला कि ऑपरेशन 9 से 10 दिन बाद ही हो पाएगा। मरीज के परिजनों ने जब इसका कारण पूछा तो अस्पताल ने कहा कि ये डॉक्टर की मर्जी होती है कि वह ऑपरेशन कब करेगा। यह बात सुनकर मरीज के परिजन बेहद हताश हो गए। और उन्होंने गेलैक्सी अस्पताल छोड़ने का फैसला किया।

 कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद मिला पीड़िता को न्याय.. 

अस्पताल की मनमानी के खिलाफ जैसे ही मरीज के परिजन ने आवाज बुलंद की वैसे ही अस्पताल ने हजारों का बिल थमाते हुए अपनी गलती से पल्ला झाड़ दिया। हताश हुए मरीज के परिजनों ने केयर बाई कलेक्टर में शिकायत दर्ज कराते हुए कलेक्टर से आप बीती सुनाई। इधर पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सौरभ सुमन ने भी तत्काल मामले में संज्ञान लिया। और अस्पताल प्रबंधन को आदेशित करते हुए मरीज को राहत पहुंचाई। कलेक्टर का आदेश आते ही गेलैक्सी अस्पताल की अक्ल ठिकाने लग गई । उन्होंने न केवल मरीज को डिस्चार्ज किया बल्कि 15 हजार 800 के बिल को भी माफ किया।

 इनका कहना है।

मैं जबलपुर कलेक्टर सौरभ सुमन का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने छुट्टी वाले दिन भी हमारी फरियाद सुनते हुए हमें न्याय दिलवाया। मेरा उनसे अनुरोध है कि ऐसे अस्पतालों पर शिकंजा कास्ट हुए सख्त कार्यवाही की जाए। ताकि आने वाले समय में किसी भी पीड़ित परिवार को अस्पताल प्रबंधन अपना शिकार न बना सके।

रमाकांत पटेल
पीड़िता का परिजन
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