बालाघाट (अभय वाणी )समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन में खरीदी के भुगतान से पहले खाद्य विभाग के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी श्री सुनिल किरार ने बड़ी गड़बड़ी होने से न सिर्फ रोका बल्कि भूगतान से पहले गड़बड़ी में शामिल अमले पर एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। ज्ञात हो कि कलेक्टर ड़ॉ.गिरीश कुमार मिश्रा ने 13 और 14 जनवरी को उपार्जन से जुड़े सभी विभागों के साथ जिला स्तरीय उपार्जन समिति की बैठक में आगाह करते हुए निर्देश दिए थे कि सबसे पहले शेष किसानों का सत्यापन करें। इसके बाद अलग-अलग केंद्रों की जांच और खरीदी का आंकलन करें। इस बचे समय में गड़बड़ी करने वाले ज्यादा सक्रिय हो सकते है। ऐसे समय में अपने-अपने अमले को सक्रिय करें और किसी तरह की कसर न छोड़े। उन्ही निर्देशों के आधार पर बालाघाट के नाहरवानी उपार्जन केंद्र के प्रबंधक ओमप्रकाश मंडले, खरीदी प्रभारी तिलकचंद हुंडे, कम्युानी टर ऑपरेटर रउन कुमार मांद्रे पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 420,466, 477-ए और धारा 468 में थाना हट्टा में मंडी उपनिरीक्षक मनोज पटले द्वारा रात करीब 1 बजे एफआईआर दर्ज करायी गई। इसके अलावा खरीदी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगदीश कुमार श्रीनाग को सस्पेंड करने की कार्यवाही प्रचलित कर दी गई है।
सबसे अधिक खरीदी होने से मामला रेंडमली जांच में लिया गया
जेएसओ श्री किरार ने जानकारी देते हुये बताया कि जिला उपार्जन कंट्रोल रूम में ऑकलन करते हुये पाया गया कि 16 जनवरी को नाहरवानी के केंद्र पर सबसे अधिक खरीदी दर्शायी गई है। इसके बाद इससे जुड़े विभिन्ना पहलुओ पर सिलसिलेवार जांच की गई। पहले यहां के कुल पंजीकृत किसानों, स्लॉगट बुक किये किसानों, शेष रहे किसानों और सत्यापन रिपोर्ट को बारीकी से देखा गया। इसके पश्चात एसडीएम राहुल नायक के नेतृत्व में खरीदी केंद्र की जांच की गई। जांच में पाया गया कि 16 जनवरी को खुर्शीपार के किसान पुरनलाल बिसेन का 100 क्विंटल धान ई-उपार्जन पोर्टल पर चढ़ाई गई। पोर्टल पर 16 से 19 जनवरी के बीच स्लॉट बुक कराया गया और मौके पर पुरनलाल बिसेन उपस्थित नही पाये गये। जब किसान पुरनलाल से दुरभाष पर जानकारी ली गई तो बताया कि उन्होंने नाहरवानी में कोई स्लॉट बुक नही कराया है। जबकि उनका स्लॉट बुक नाहरवानी के कम्युया कटर ऑपरेटर रउन मांद्रे द्वारा बुक कर धान बेची गयी है।
अधिक दुरी पर बुक करना भी शंका का कारण बना
नाहरवानी से खुर्शीपार की दुरी लगभग 50 किमी है और किसान ने यहां 100 क्विंटल धान के लिये स्लॉलट बुक कराया। इतनी दुरी पर वाहन आदि की समस्या को देखते हुये अमले ने जांच में एक महत्वपूर्ण बिंदु माना है। वहीं धान उपार्जन परिसर में किसान पुरनलाल बिसेन में कोई धान नही पाया गया। उपार्जन केंद्र में रखी धान के बाद धानों में किसान कोट की पर्ची लगी हुई नही पायी गई। साथ ही उपार्जन केंद्र में किसान तौल पर्ची व बारदानों के वितरण रजिस्टर में भी किसान का उल्लेख नही पाया गया। इन सब बिंदुओ की जांच करने के पश्चात कम्युऔर सटर ऑपरेटर से मौके में जांच में बताया गया कि उनके द्वारा ही 16 जनवरी को 100 क्विंटल धान ई-उपार्जन पोर्टल में चढाई गयी। साथ ही किसान कोड पर्ची, तौल पर्ची नही हैं और वे स्वयं लालसिंह बिसेन का अधियादार है। धान उपार्जन केंद्र पर विक्रय किया गया।
बारदानों से कटोरे से निकाली जा रही थी धान
जेएसओ श्री किरार ने जानकारी देते हुये बताया कि जब केंद्र का मौका मुआयना किया तो पाया गया कि यहां एक-एक बोरे से कटोरे के माध्यम से धान निकाली जा रही थी। इससे यह शंका हुई कि किसी अन्य किसानों के धान के बोरे से कुछ कुछ मात्रा में धान एकत्र कर अन्य बोरों में भरा जाता हो। किसान पुरनलाल बिसेन द्वारा खरीदी गई धान का भूगतान करीब 2 लाख 18 हजार होने के पूर्व गडबड़ी पकडी गयी।