पुलिस की पदोन्नति सूची पर खड़े हुए सवाल

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पुलिस की पदोन्नति सूची पर खड़े हुए सवाल

भोपाल गत दिवस गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस विभाग की पदोन्नति सूची जारी कर दी गई है इस सूची के जारी होते हुए उसे पर सवालिया निशान भी खड़े होना शुरू हो गए दरअसल पहले से ही प्रमोशन में आरक्षण का मामला हाई कोर्ट में फंसा पड़ा है अब इसके बाद पुलिस विभाग के द्वारा घोषित की गई यह पदोन्नति सूची में कई विसंगति सामने नजर आ रही है दरअसल इस सूची में उप निरीक्षक पद पर सीधी भर्ती किए गए पुलिस कर्मियों को निरीक्षक बना दिया गया है लेकिन वहीं विभागीय पदोन्नति से सिपाही के रूप में शामिल होते हुए उपनिरीक्षक की पद पर जा पहुंचे पुलिसकर्मी अब भी अपनी पदोन्नति को तरसते नजर आ रहे हैं गौरतलाप है कि इस सूची में सीधी भर्ती वाले उप निरीक्षकों को निरीक्षक पद पर प्रोन्नत कर दिया गया है लेकिन सिपाही के पद से विभागीय पदोन्नति प्राप्त उप निरीक्षकों की पदस्थापना निरीक्षक के पद पर नहीं की गई है ऐसा माना जा रहा है कि पुलिस विभाग के द्वारा यह सूची मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए बगैर कर दी गई है। अब नाराज पुलिस कर्मियों के द्वारा अपने मुख्यमंत्री से इस विषय का संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा की गई है। अब नए सीएम डॉ. यादव को कौन बताए कि इस प्रमोशन में वे असली हकदार तो हाथ मलते ही रह गए, जिन्हें 30-30 बरस के लम्बे समय से इस प्रमोशन का इंतजार था। इस सूची के अनुसार उन्हें प्रमोशन मिल गया जो डायरेक्ट एसआई से भर्ती हुए थे, लेकिन सिपाही पद पर भर्ती हुए पुलिसकर्मी अपनी पदोन्नति को ताकते रह गए।

मुख्यमंत्री के निर्देश के महज 15 दिन में डिपार्टमेंट ने प्रमोशन तो किए, लेकिन उन पथराई आंखों के हिस्से में फिर इंतजार ही आया, जिनके प्रमोशन के लिए मुख्यमंत्री चिंतित थे, क्योंकि ये सेवानिवृत्ति की कगार तक आ गए थे। 370 पदों पर 298 सब इंस्पेक्टर प्रमोट तो हुए, लेकिन इस प्रमोशन में सिपाही से एसआई बना एक भी नहीं। इस वर्ग में अब गहरी नाराजगी और क्षोभ पैदा हो गया है।

सिपाही से एसआई बने पुलिस वालों का कहना है

कि प्रमोशन उन्हें मिल गया जो डायरेक्ट एसआई से भर्ती हुए थे। ऐसे लोगों को महज 10 बरस में प्रमोशन मिल गया और वे 2 से 3 सितारा होकर टीआई बन गए। 30 बरस से इंतजार करने वाले फिर खड़े रह गए, जबकि नए मुख्यमंत्री डॉ. यादव की प्रमोशन की मंशा ऐसे ही पुलिस वालों के लिए थी जो बरसों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।

परमिशन में फिफ्टी-फिफ्टी का विभागीय नियम ताक पर

गृह विभाग ने ताजा प्रमोशन में वे नियम-कायदे भी दरकिनार कर दिए जिनका प्रमोशन में पालन अनिवार्य है। इस नियम के तहत प्रमोशन में फिफ्टी-फिफ्टी का फॉर्मूला अपनाया जाता है यानी कुल प्रमोशन का आधा उनका जो डायरेक्ट पोस्ट पर आते हैं और आधा हिस्सा उनका जो प्रमोशन पाकर यहां तक का मुकाम पाते हैं।

इस लिहाज से पुलिस विभाग में हुए ताजा प्रमोशन में 50 प्रतिशत प्रमोशन प्रमोटी पुलिसकर्मियों का होना था, लेकिन पुलिस महकमे ने डायरेक्ट सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर तैनात हुए अमले का प्रमोशन कर दिया। इनके प्रमोशन से कही कोई गुरेज नहीं, लेकिन ये क्या कि नियमों को दरकिनार कर सिर्फ डायरेक्ट पोस्ट वालों को ही तरक्की दी गई। जबकि अभी 72 पद और रिक्त हैं, लेकिन एक भी प्रमोटी एसआई को इंस्पेक्टर नहीं बनाया गया। उसकी जगह उन 298 पुलिस वालों को इंस्पेक्टर बना दिया गया जो डायरेक्ट सब इंस्पेक्टर पद पर पदस्थ हुए थे।

एंव 28/12/2023 को उप निरीक्षक से निरीक्षक की लिस्ट 465 लोगों की जारी हुई जिसमें 283 उप निरीक्षक डायरेक्ट भर्ती 2013 बेच के एवं 167 उप निरीक्षक पर डिपार्टमेंट वाले थे, परंतु पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा 30 दिसंबर को डायरेक्ट उपनिरीक्षक जिनकी नौकरी 10 वर्ष की हुई है उनकी लिस्ट जारी कर दी गई और टीआई बना दिया गया परंतु जिनकी 30-40 साल की सिपाही से उपनिरीक्षक बने 167 उप निरीक्षक को निरीक्षक नहीं बनाया गया जिससे सिपाही से बने उपनिरीक्षक को काफी दुख हुआ है उन्हें अपने परिवार दोस्तों समाज में अपमान का सामना करना पड़ रहा है. कुछ उपनिरीक्षकों की नौकरी एक माह दो माह बची है रिटायरमेंट की कगार पर हैं सोच रहे हैं तीन स्टार लग जाए इस उम्मीद में आस लगाए बैठे हैं. 167 डायरेक्ट डीजीपी महोदय को तत्काल कार्रवाई कर लिस्ट निकालने आदेशित किया गया था परंतु अभी तक नहीं निकल गया है.

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