एड.आशीष जायसवाल, आमदार रामटेक द्वारा निर्मित एवं प्रस्तुत, अमोल खंते द्वारा संयोजित व फि़ल्म एवं नाट्य निर्देशक नितिन बनसोड द्वारा निर्देशित एवं सिवनी निवासी युवा लेखक एवं गीतकार अमन कबीर द्वारा लिखित नाटकों के मंचन ने महाराष्ट्र के दर्शको को अभिभूत किया। नागपुर, पारसिवनी, अमरावती और गड़चिरोली के रसिकों को कुंवारा भिवसेन महानाट्य ने नाटक ‘आदिवासी शौर्य गाथा’ के माध्यम से एक नई कला की ऊंचाइयों को छूने में सफलता प्राप्त की है। अमन कबीर के द्वारा इस नाटक में 130 रंगकर्मियों ने साथ मिलकर एक भव्य मंचन को जीवंत किया, जिसने दर्शकों को भावनाओं के साथ जुडऩे का अद्वितीय अनुभव दिलाया।
भिवसेन के नाटक का एक विशेष आकर्षण बाबा पदम अप्रतिम प्रकाश और चारुदत्त जिचकार के ध्वनि प्रभावों में है, जो दर्शकों को रंगीन और संवेदनशील अनुभव में डालते हैं। पंकज और समीर के नृत्य, चतुरसेन का संगीत, अनवर अली की एक्शन और अभिनेताओं का जादुई अभिनय, रामजी की रुपसज्जा, नकुल की वेशभूषा नाटक को एक अद्वितीय रूप में आदिवासी शौर्य की कहानी को प्रस्तुत करने में सहारा दिया।
मंचन पर 130 रंगकर्मियों का साथ होना नाटक को एक भव्य और समृद्धि से भरा अनुभव बनाता है। इससे न केवल कला की महत्वपूर्णता बढ़ती है, बल्कि साथ ही सामाजिक संदेशों को भी उजागर करने का माध्यम मिलता है। यह नाटक आदिवासी समुदाय के शौर्य और समर्थन को साझा करते हुए सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है और दर्शकों में गर्व और आनंद उत्पन्न करता है। महा नाटय में सिवनी जिले के अमन कबीर ने अपने जिले के कुरई टुरिया में हुए जंगल सत्याग्रह में शहीद हुए आदिवासियों को जीवंत रूप दिया जिसे कलाकारों ने बेहतरीन अदाकारी के साथ मंच में उतारा। वहीं दूसरी तरफ नरेन्द्र जिचकार के मार्ग दर्शन में अमन कबीर के लिखे महानाट्य संविधान के मंचन ने रचनात्मक के नए आयामों को तय किया है। संविधान बनने की कथा, उसके लिए हुए संघर्ष एवं बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करता यह महानाट्य संविधान के प्रति देश के नागरिकों को आस्थावान रहने के लिए न केवल प्रेरित करता है बल्कि संविधान की महत्व को भी स्थापित करता है। 100 से अधिक रंगकर्मियों के इस अद्धभुत प्रदर्शन ने रंगमंच के नए मानक स्थापित किए हैं।ज्ञात हो कि लेखक - गीतकार अमन कबीर महाकौशल एक्सप्रेस के प्रधान संपादक रंगकर्मी शमीम खान के अनुज हैं एवं अप्रतिम फि़ल्म अभिनेता स्वर्गीय निर्मल पांडे और अप्रतिम फि़ल्म अभिनेता, लेखक, गीतकार एवं संगीतकार पीयूष मिश्रा के शिष्य हैं। अमन कबीर ने एक नाटक में आदिवासी संस्कृति, परंपरा और देश के लिए बलिदान देने वाले आदिवासियों को जीवंत रूप देने का प्रयास किया तो संविधान जैसे महा नाटय में उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के आदर्श और सिद्धांतो को उतारा। सिवनी जैसे छोटे से जिले में जन्मे पढ़े लिखे अमन कबीर के द्वारा लिखित महा नाटय इन दिनों महाराष्ट्र प्रदेश के नाट्य प्रेमी दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ रहे है ।