सिवनी शहर की पुरानी पानी कि व्यवस्था के की ऐसे पहलू है जिनके बारे मे सिवनी वर्तमान पीढ़ी या तो नहीं जानती या फिर बहुत कम जानकारी है। उन्ही मे से एक है दलसागर-बाबरिया-बुधवारी तालाब का एक दूसरे से जुड़ा हुआ होना। अंग्रेजों के समय से 1915 के नक्शे के अनुसार एक नहर बाबरिया तालाब से दलसागर तालाब तक कंपनी गार्डन होते हुए आती थी और अंत मे बुधवारी तालाब तक जाती थी। परंतु जैसे जैसे शहर बढ़ा तो नहर बंद होती चली गई दलसागर और बुधवारी तालाब मे नालों का पानी जाने लगा जिससे इन तालाबों की निर्भरता बाबरिया की नहर पर काम होती चली गई।
चूंकि दलसागर तालाब और बुधवारी तालाब मे पानी आने के स्त्रोत पहले जहां से थे वहाँ मकान और सड़के बन गई जिनकी नालियों से कुछ समय पानी इन तालाबों मे आना शुरू हुआ। इसके बाद धीरे धीरे नालों और नालियों मे गंदगी बढ़ने से इन तालाबों मे भी गंदगी बढ़ाने लगी साथ ही इन नालों और नालियों के जल शोधन के लिए जो प्रयास किये जाने थे नगर पालिका अथवा जिला प्रशासन द्वारा वे प्रयास नहीं किये गए। जिसका परिणाम ये हुआ कि हमारे स्वच्छ जल के स्त्रोत दलसागर और बुधवारी तालाब गंदे पानी के टैंक बनकर रह गए। जिसका परिणाम ये हुआ की हमारा भूमिगत जल लगातार प्रदूषित हो रहा है, पिछले दिनों जो वाटर स्पोर्ट्स का प्रस्ताव आया था वो वापस चला गया क्युकी दलसागर का जल मानवीय त्वरचा के लिए हानिकारक है।
गंदगी और प्रदूषण से निकाल कर दलसागर और बुधवारी तालाब को पुनः जीवित करने के लिए नगर पालिका और जिला प्रशासन को आगे आकर कार्य होगा। बबरिया तालाब से बारापत्थर होते कंपनी गार्डन होते हुए जो नहर दलसागर आती थी उसका सीमाकन कर पुनः उसे अतिक्रमण मुक्त कर जीवित कराया जाकर नहर चाहे खुली या आवश्यक हो तो पाइप डालकर बनाई जाए। जिसके माध्यम से बाबरिया के ओवरफ़्लो का पानी सीधे दलसागर बुधवारी मे आ सके। इसके लिए नगरपालिका द्वारा सीमांकन कि कार्यवाही जिला कलेक्टर के आदेश पर शुरू भी कि गई है। इसके अलावा शहर के पानी के शोधन के लिए दूषित जल शोधन संयंत्र भी लगाए जाए कि जल तालाबों मे जाने के पूर्व शोधित हो जाए ताकि भविष्य मे वाटर स्पोर्ट्स और नागरिक स्वास्थ्य बचाने हेतु कार्य किया जा सके।