रक्तदान का महत्व समझते हैं शुभम, 41 बार किया रक्तदान
बालाघाट, 30 सितंबर 2024। रक्तदान जीवन का सबसे बड़ा उपहार है, और हमारे समाज में ऐसे लोग हैं जो इस उपहार के महत्व को गहराई से समझते हैं। 31 वर्षीय शुभम उइके उनमें से एक हैं। शुभम ने 18 साल की उम्र से नियमित रूप से रक्तदान करना शुरू किया और अब तक 41 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे हर साल 1 जनवरी, अपनी माँ के जन्मदिन (4 अप्रैल), अपने जन्मदिन (30 जुलाई), और किसी भी आपात स्थिति में रक्तदान करते हैं। शुभम के पास एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप है, जो दुर्लभ है, और इसी कारण वे इसे अमूल्य मानते हैं। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर, शुभम जैसे युवा समाज और स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रक्तदान का महत्व और शुभम की प्रेरणा
शुभम उइके का मानना है कि रक्त का कोई विकल्प नहीं है और इसका महत्व वही समझ सकता है जो अस्पताल के बिस्तर पर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा हो। शुभम कहते हैं, "रक्तदान मेरे लिए केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि जीवन देने का माध्यम है। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे रक्त से किसी की जान बचाई जा सकती है।" उनके अनुसार, रक्तदान के बाद वे मानसिक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ महसूस करते हैं।
जिला अस्पताल में रक्तदान की व्यवस्था और ब्लड काउंसलिंग
बालाघाट जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की ब्लड काउंसलर श्यामा घालेकर ने बताया कि अस्पताल में रक्त की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैम्प और एक्सचेंज प्रक्रिया द्वारा रक्त एकत्रित किया जाता है। अस्पताल में एक डायरेक्टरी तैयार की गई है, जिसमें करीब 5,000 दानदाताओं के नाम, पते, और फोन नंबर शामिल हैं। इनमें से 250 रेयर ब्लड ग्रुप वाले दानदाताओं की अलग डायरेक्टरी भी बनाई गई है। जिला अस्पताल हर साल करीब 7,000 यूनिट रक्त की आवश्यकता को पूरा करता है, जिसमें निजी अस्पतालों को भी प्रतिमाह 100 यूनिट रक्त प्रदान किया जाता है।
रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता
रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह एक ऐसा कार्य है जो न केवल दूसरों की जान बचाता है बल्कि रक्तदाता को भी स्वस्थ रखता है। इस राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर हम सभी को शुभम उइके और ऐसे ही अनगिनत नायकों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो निस्वार्थ भाव से रक्तदान कर समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।
निष्कर्ष
रक्तदान का कोई विकल्प नहीं है। यह एक छोटा सा प्रयास है, लेकिन इसका प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। शुभम जैसे युवा रक्तदाता इस बात का प्रमाण हैं कि स्वैच्छिक रक्तदान से न केवल दूसरों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि इसे समाज में एक बड़ा बदलाव भी लाया जा सकता है।