बालाघाट / बुनियादी बीज प्रगुणन एवं प्रशिक्षण केंद्र, केंद्रीय रेशम बोर्ड, बालाघाट में रेशम दिवस का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर रेशम उद्योग की महत्ता और इसके विकास में केंद्रीय रेशम बोर्ड के योगदान पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में उपस्थित श्रमिकों, किसानों और वरिष्ठ तकनीकी सहायकों ने रेशम उत्पादन को बढ़ाने की शपथ ली और जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया।
रेशम दिवस के अवसर पर बताया गया कि यह दिन भारत के पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने रेशम उद्योग के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से भारत आज चीन के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है और वैश्विक कच्चे रेशम के उत्पादन में 42 प्रतिशत का योगदान करता है।
केंद्रीय रेशम बोर्ड ने रेशम की गुणवत्ता सुधारने, वैज्ञानिक तकनीकों के साथ खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा मिल रहा है।
रेशम उद्योग को और अधिक मजबूती देने के लिए ‘सिल्क समग्र 2 योजना’ के तहत आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है। इस योजना में किसानों को जैविक और टिकाऊ रेशम उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव पड़े। इस कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिक-सी डॉ. बावस्कर दत्ता मदन ने कहा कि रेशम उत्पादों की मांग न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी तेजी से बढ़ रही है।
इस अवसर पर यह भी बताया गया कि रेशम उद्योग भारतीय संस्कृति, परंपरा और कारीगरों की मेहनत का प्रतीक है, और इसे तकनीकी उन्नति, नवाचार और जैविक खेती के साथ और आगे बढ़ाया जाना चाहिए। रेशम दिवस के इस विशेष आयोजन में यह संकल्प लिया गया कि आने वाले समय में भारत का रेशम उद्योग और भी ऊंचाइयों को छुएगा और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान को और मजबूत करेगा।