भोपाल: पं. उद्धवदास मेहता स्मृति न्यास द्वारा आयोजित एक समारोह में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसका प्रचार-प्रसार हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भरपूर भंडार है, विशेषकर जनजातीय क्षेत्रों में जहां प्राकृतिक औषधीय पौधों का ज्ञान संरक्षित है। राज्यपाल श्री पटेल ने सभी से आग्रह किया कि वे आयुर्वेद के फायदों के बारे में आम जनता को जागरूक करें।
समारोह का आयोजन विश्व आयुर्वेद परिषद के सहयोग से मानस भवन, भोपाल में किया गया। इस अवसर पर आयुर्वेद चिकित्सकों का सम्मान किया गया और अखिल भारतीय आयुर्वेद पी.जी. निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। समारोह में राज्यपाल ने आयुर्वेद की वैज्ञानिकता और स्वास्थ्य पर इसके समग्र दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ रोगों का इलाज नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
कोविड के बाद आयुर्वेद का महत्व बढ़ा:
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद विश्व आयुर्वेद के हॉलिस्टिक दृष्टिकोण की ओर लौट रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिली है। जामनगर, गुजरात में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्थापित ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का भी उन्होंने उल्लेख किया।
आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने आयुर्वेद को जीवन पद्धति बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष कार्य किए जा रहे हैं। स्मृति न्यास द्वारा डिजिटल आयुर्वेद लाइब्रेरी स्थापित करने की भी घोषणा की गई, जो आयुर्वेद चिकित्सकों, छात्रों और शोधार्थियों के लिए लाभकारी होगी।
समारोह में पं. उद्धवदास मेहता के योगदान को याद करते हुए भोपाल दक्षिण-पश्चिम के विधायक श्री भगवान दास सबनानी और सांसद श्री आलोक शर्मा ने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को बधाई दी।