गोटेगांव/करकबेल – “जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही रास है। जब जीवात्मा रूपी बीज को परमात्मा के हृदय में स्थान मिलता है, तभी सच्चा प्रेम प्रकट होता है,” यह संदेश बालविदुषी जयकिशोरी जी ने छठवें दिन श्रीमद भागवत कथा के दौरान दिया। करकबेल के रजक परिवार द्वारा आयोजित इस कथा में जयकिशोरी जी ने महारास की अद्भुत लीला का वर्णन किया और प्रेम के वास्तविक स्वरूप को विस्तार से समझाया।
उन्होंने कहा कि “गोपियों ने संसार को परमात्मा से प्रेम करना सिखाया। सच्चा प्रेम भय, गुण, रूप और लोभ से मुक्त होकर प्रियतम के लिए सर्वस्व समर्पण है। यह प्रेम आनंद और सुख का स्रोत है, जबकि आसक्ति केवल दुख का कारण बनती है। वर्तमान समय में प्रेम के स्थान पर आसक्ति ने जगह ले ली है, जो सच्चे प्रेम की कमी का संकेत है।”
गोपियों से सीखें प्रेम की परिभाषा
जयकिशोरी जी ने कहा, “संसार में जो प्रेम दिखाई देता है, वह लौकिक प्रेम है, जो स्वार्थ से प्रेरित होता है। जबकि गोपियों का प्रेम निष्काम था, जिसमें उन्होंने अपना सब कुछ प्रभु को समर्पित कर दिया। जब स्वार्थ समाप्त हो जाता है, तो प्रेम शुद्ध और सत्य बनता है।” उन्होंने गोपियों के माध्यम से भगवान से प्रेम का आदर्श प्रस्तुत करते हुए श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।
विधायक महेंद्र नागेश का आगमन
कथा के छठवें दिन गोटेगांव विधानसभा के विधायक महेंद्र नागेश ने कथा स्थल पर पहुंचकर व्यासपीठ और कथावाचक जयकिशोरी जी का सम्मान किया। उन्होंने साल और श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया और तत्पश्चात कथा का श्रवण किया।
सैकड़ों श्रद्धालु हुए भावविभोर
नगर और आसपास के क्षेत्र से सैकड़ों श्रद्धालु इस दिव्य कथा का श्रवण करने पहुंचे। रासबिहारी भगवान की कथा सुनकर सभी भक्त भावविभोर हो गए और महारास की अद्भुत लीला ने उनके हृदय को छू लिया।
कथा का आयोजन और श्रद्धालुओं का उत्साह
यह सात दिवसीय कथा मंगलवार से शुरू हुई थी और प्रत्येक दिन श्रद्धालु भारी संख्या में कथा स्थल पर उपस्थित होकर कथा का आनंद ले रहे हैं। जयकिशोरी जी के सरल और प्रभावी प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को प्रभु प्रेम की गहराई को समझने की प्रेरणा दी।
शुद्ध प्रेम की इस अद्भुत कथा को सुनने का यह अवसर सभी श्रद्धालुओं के लिए एक दुर्लभ अनुभव साबित हो रहा है।