बालाघाट, जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बाल विवाह रोकने और इससे जुड़ी कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत मेहदुली और खापा में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह कार्यक्रम वन स्टॉप सेंटर (सखी) और प्रकृति महिला अशासकीय संस्था के समन्वय से आयोजित हुआ।
कलेक्टर श्री मृणाल मीना के मार्गदर्शन और जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती दीपमाला मंगोदिया के निर्देशन में यह कार्यक्रम संचालित किया गया।
बाल विवाह के दुष्परिणाम और कानूनी प्रावधान समझाए गए
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि बाल विवाह से जुड़े सामाजिक और शारीरिक दुष्परिणाम गंभीर होते हैं। यह भी स्पष्ट किया गया कि:
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अनुसार, 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की का विवाह अवैध है।
- इस अपराध में शामिल होने वाले सभी व्यक्तियों—माता-पिता, पुजारी, बिचौलिए, टेंट मालिक, केटरिंग सेवा प्रदाता, बैंड, और यहां तक कि प्रिंटिंग प्रेस संचालक—पर कार्रवाई का प्रावधान है।
- दोषियों को दो वर्ष का कारावास और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
- इसके अलावा, पॉक्सो एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
जागरूकता के लिए कंट्रोल रूम स्थापित
वन स्टॉप सेंटर बालाघाट ने बाल विवाह रोकथाम के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जिसकी हेल्पलाइन नंबर 6262240299 है। इसके साथ ही, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 और महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर भी सूचना दी जा सकती है।
तुलसी विवाह के बाद बढ़ती शादियों पर नजर
कार्यक्रम में बताया गया कि तुलसी विवाह के बाद विवाह समारोहों की संख्या बढ़ जाती है, और इस दौरान बाल विवाह रोकथाम के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
जागरूकता अभियान में संस्थाओं की भागीदारी
कार्यक्रम में प्रकृति महिला अशासकीय संस्था की फेलोशिप कार्यकर्ता, श्रीमती खुमेश्वरी ठाकरे, श्रीमती दानेश्वरी रहांगडाले, श्रीमती निशा धनकरे, और श्रीमती रामेश्वरी बिसेन ने सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने ग्रामीणों को बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने और जागरूक रहने का आह्वान किया।
नोट: यह पहल बालाघाट जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने और बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।