दमुआ, दमुआ नगर पालिका में मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) के रूप में पूजा बुनकर की पदस्थापना के बाद से उनकी कार्यशैली को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। तीन महीने पहले नियुक्त हुईं सीएमओ पूजा बुनकर पर आरोप है कि वे पार्षदों और आम जनता के साथ अभद्र व्यवहार कर रही हैं और रिश्वत लेने के बाद ही काम करने की बात कहती हैं। इन विवादों के चलते लगातार सात पार्षदों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है, और अन्य पार्षदों के इस्तीफे भी जल्द ही आ सकते हैं।
भाजपा पार्षदों का आरोप: “जनता को ‘खच्चरों की फौज’ कहती हैं सीएमओ”
कलेक्टर को सौंपे गए त्यागपत्र में पार्षदों ने आरोप लगाया है कि पूजा बुनकर दमुआ की जनता को "खच्चरों की फौज" कहती हैं। पार्षदों का कहना है कि जब भी वे किसी मुद्दे पर सवाल उठाते हैं, तो सीएमओ उन्हें जेल में भेजने की धमकी देती हैं। पार्षदों के अनुसार, सीएमओ ने सभी जनहित के कार्यों को ठप कर रखा है और अपने निर्णय थोप रही हैं, जिससे आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ताजा घटनाक्रम
यह घटनाक्रम शुक्रवार शाम का है, जब भाजपा के लगभग सभी पार्षदों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दमुआ नगर पालिका में कुल 18 पार्षद हैं, जिनमें से 10 भाजपा के और 8 कांग्रेस के हैं। इस्तीफा देने वाले भाजपा के पार्षदों में स्वास्थ्य विभाग के सभापति विशाल सूर्यवंशी, जल कार्य विभाग की सभापति फूलवती लोबो, शिक्षा महिला एवं बाल कल्याण विभाग की सभापति गंगा चक्रपाणि, और अन्य प्रमुख पार्षद शामिल हैं।
क्यों उठाया इस्तीफे का कदम?
त्यागपत्र में पार्षदों ने लिखा है कि सीएमओ पूजा बुनकर ने जनहित के कार्यों में बाधाएं डाली हैं, और किसी भी तरह की जानकारी पार्षदों के साथ साझा नहीं की जाती है। सभी पार्षदों ने एक समान आरोप लगाए हैं कि वे इस तानाशाही कार्यशैली के कारण अपने पदों पर बने नहीं रह सकते। इस्तीफे में यह भी उल्लेख किया गया है कि सीएमओ द्वारा पार्षदों के फैसलों को दरकिनार कर भ्रष्टाचारपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। विरोध जताने पर उन्हें जेल भेजने की धमकी दी जाती है और किसी भी प्रकार की सूचना मांगने पर जेल का नोटिस दिया जा रहा है।
आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। भाजपा के लिए यह चिंता का विषय बन सकता है क्योंकि दमुआ नगर पालिका के भाजपा पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा देकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।