सिवनी
प्रख्यात सूफी संत और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रतीक सूफी सादिक रूमवी का गुरुवार सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया। उनके आकस्मिक निधन की खबर से सिवनी जिले में शोक की लहर दौड़ गई। सूफीवाद और सांप्रदायिक एकता की मिसाल बने सादिक रूमवी के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में उनके शिष्य और अनुयायी डूंडा सिवनी स्थित उनके निवास स्थान पर पहुंचे।
डूंगरिया शरीफ में सुपुर्द-ए-खाक
सूफी सादिक रूमवी को उनके पिता और प्रख्यात सूफी संत, सूफी कबीरूद्दीन रूमवी रहमतुल्लाह अलैह के अस्ताना, डूंगरिया शरीफ में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अंतिम यात्रा में हिंदू और मुस्लिम अनुयायियों की भारी भीड़ देखी गई, जो उनके द्वारा स्थापित सांप्रदायिक सद्भावना और एकता की भावना को दर्शाती है।
एक संत, एक शिक्षक
सज्जादा नशीन सूफी सादिक रूमवी न केवल एक सूफी संत थे, बल्कि उन्होंने शिक्षक के रूप में भी अपने जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे लंबे समय तक सिवनी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्कूल में शिक्षक के पद पर रहे। उनके शिष्य बताते हैं कि सूफी सादिक ने अपनी शिक्षाओं और अपने व्यवहार से हमेशा प्रेम, एकता, और भाईचारे का संदेश दिया।
अनुयायियों में शोक की लहर
उनके निधन से उनके अनुयायियों में गहरा शोक व्याप्त है। हर आंख नम थी और हर चेहरा उनके अचानक चले जाने से स्तब्ध। उनके शिष्यों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सूफी सादिक रूमवी हमेशा अपने प्रेम और सद्भावना के संदेश के लिए याद किए जाएंगे।
सूफी सादिक रूमवी ने अपने जीवनकाल में गुरु-शिष्य परंपरा को जीवंत बनाए रखते हुए समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का वातावरण बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका निधन समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।