सांकेतिक चित्र |
महाकाल मंदिर के प्रशासक ने मंदिर के पुरोहित, पुरोहित के प्रतिनिधि एवं अन्य कर्मचारियों को किया निलंबित।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में जलाभिषेक के नाम पर श्रद्धालुओं से अवैध वसूली का मामला सामने आया है। यह मामला मंदिर प्रबंधन समिति के निर्देश पर जांच के दौरान उजागर हुआ।
घटनाक्रम
19 दिसंबर 2024 को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मंदिर परिसर, नंदी मंडपम में औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान पाया गया कि पुजारियों और प्राइवेट प्रतिनिधियों द्वारा श्रद्धालुओं से जलाभिषेक कराने के नाम पर 1100 रुपये प्रति श्रद्धालु और विशेष जलाभिषेक के लिए 6600 रुपये तक की वसूली की जा रही थी। वहीं, कुछ मामलों में 3300 रुपये लेकर जलाभिषेक की अनुमति दी जा रही थी, लेकिन जलाभिषेक करवाया ही नहीं गया।
इस अवैध वसूली से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इससे मंदिर की छवि धूमिल होने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
प्रशासन की कार्रवाई
मंदिर प्रबंधन समिति ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नंदी मंडपम में कर्तव्य पर तैनात पुजारी, प्रतिनिधि और सुरक्षा कर्मियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। साथ ही, इस अवैध वसूली में लिप्त पाए गए लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई
1. श्री कुशाग्र शर्मा (सारोला, उज्जैन निवासी) को जलाभिषेक के नाम पर अवैध वसूली के मामले में दोषी पाए जाने के बाद पुजारी, प्रतिनिधि और सुरक्षा कर्मी के रूप में उनकी भूमिका को समाप्त कर दिया गया है।
2. मंदिर अधिनियम की धारा 18(2) के तहत दोषी व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से आदेश लागू किए गए हैं।
मंदिर प्रबंधन की अपील
मंदिर प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मंदिर के नियमों का पालन करें और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।
यह कार्रवाई श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर की गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से की गई है।