सिवनी / छपारा कलां गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें और अंतिम दिन कथा व्यास आचार्य शुभम कृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता और उनकी कृपा का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
सुदामा चरित्र:
आचार्य शुभम शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण से सच्ची मित्रता निभाना सीखना चाहिए। सुदामा जी, जो जितेंद्रिय और भगवान कृष्ण के परम मित्र थे, गरीबी के बावजूद भी भगवान के ध्यान में मग्न रहते थे।
- सुदामा और कृष्ण की मित्रता:
सुदामा जी अपनी पत्नी सुशीला के आग्रह पर द्वारका पहुंचे। द्वारपाल ने जब भगवान कृष्ण को यह बताया कि सुदामा नामक ब्राह्मण आए हैं, तो भगवान तुरंत दौड़कर अपने मित्र से मिलने पहुंचे।- श्रीकृष्ण ने सुदामा जी की दीन दशा देखकर भावविभोर होकर उनके चरण धोए।
- सुदामा जी को ससम्मान विदा किया और अपनी कृपा से उनके जीवन को बदल दिया।
परीक्षित मोक्ष प्रसंग:
कथा के अगले भाग में सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई।
- कथा श्रवण के बाद राजा परीक्षित का मृत्यु भय समाप्त हो गया।
- तक्षक नाग के डसने के बाद भी राजा परीक्षित भगवान के परमधाम को पहुंचे।
कथा का समापन:
सात दिवसीय कथा का समापन हुआ। अंत में आचार्य शुभम शास्त्री ने सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए आयोजक कृष्ण कुमार सिसोदिया (दादी मासाब) और अन्य श्रद्धालुओं को धन्यवाद दिया।
स्वागत और सम्मान:
- भाजपा मंडल अध्यक्ष छपारा ठाकुर अर्जुन सिंह, प्रांतीय नवयुवक मंडल अध्यक्ष विशाल टोनी ठाकुर, और महाराणा प्रताप समिति छपारा के पदाधिकारियों ने आयोजकों का शाल और श्रीफल से सम्मान किया।
- कथा में जबलपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, नैनपुर, नागपुर, और छपारा के श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्रद्धालुओं का आभार:
आयोजक कृष्ण कुमार सिसोदिया ने सभी श्रोताओं का धन्यवाद करते हुए कथा को सफल बनाने में योगदान देने वालों का आभार प्रकट किया। श्रद्धालुओं ने श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया