आचार्य ने कहा कि हवन-यज्ञ से वायुमंडल शुद्ध होता है, आत्मिक बल प्राप्त होता है, और व्यक्ति के जीवन में धार्मिक आस्था जागृत होती है। यज्ञ के माध्यम से देवता प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल प्रदान करते हैं। भागवत कथा के श्रवण से भक्तों के विचार और आचरण में सकारात्मक बदलाव आता है।
उन्होंने भंडारे के प्रसाद का महत्व बताते हुए कहा कि "प्रसाद" का अर्थ प्रभु का साक्षात दर्शन है। यह मन, बुद्धि और चित्त को शुद्ध करता है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य का शरीर भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है, और इसका अपमान भगवान का अपमान है।
विशेष आयोजन और श्रद्धालुओं की भागीदारी
मुख्य यजमान कृष्णकुमार सिसोदिया सहित अन्य श्रद्धालुओं ने विधिवत हवन-पूजन में भाग लिया। इसके बाद सभी उपस्थित भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में आयोजक कृष्णकुमार सिसोदिया (दादी मासाब) ने भागवताचार्य शुभम कृष्ण शास्त्री और सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया। इस भागवत कथा ने ग्रामवासियों में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के भाव जागृत किए।