सिवनी, 16 दिसम्बर 2024:
भोपाल के जवाहर चौक में आयोजित विधानसभा महा-घेराव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की भाजपा सरकार की विफलताओं के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार की चुनावी वादाखिलाफी को उजागर करना था।
प्रमुख मुद्दे:
किसानों की उपेक्षा:
- धान का समर्थन मूल्य ₹3100 प्रति क्विंटल और गेहूं का ₹2700 प्रति क्विंटल तय करने का वादा अधूरा।
- किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य विफल।
- खेती को लाभदायक बनाने के दावों पर अमल नहीं।
महिलाओं एवं आम जनता की अनदेखी:
- महिलाओं को ₹3000 प्रतिमाह की सहायता और ₹450 में घरेलू गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का वादा अधूरा।
- महिलाओं पर अत्याचार और अपराधों की बढ़ती घटनाएं।
युवाओं और दलित-आदिवासियों की समस्याएं:
- बेरोजगारी चरम पर, सरकार के पास कोई ठोस रोजगार योजना नहीं।
- दलित-आदिवासियों पर अत्याचार जारी।
- अपराधियों के बढ़ते हौसले।
जिला कांग्रेस प्रवक्ता राजिक अकील और ऐश्वर्य सुमित मिश्रा ने बताया कि इस आंदोलन में सिवनी जिले से भारी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना के नेतृत्व में सिवनी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने ठंड और कठिन परिस्थितियों में पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रमुख नेता और भागीदार:
इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। सिवनी जिले के कांग्रेस नेताओं, जिनमें राजकुमार खुराना, विधायक योगेंद्र सिंह बाबा, ठाकुर रजनीश सिंह, और अन्य पदाधिकारी शामिल थे, ने भोपाल पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
कार्यक्रम के विशेष पहलू:
- विरोध प्रदर्शन के बाद, सिवनी के कांग्रेस प्रतिनिधियों ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
- अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव कुणाल चौधरी ने सिवनी जिले के कार्यकर्ताओं की भागीदारी की सराहना की।
- इस आंदोलन में सिवनी के विभिन्न वर्गों और समुदायों के कार्यकर्ता शामिल हुए, जिन्होंने अपनी निजी और पेशेवर प्रतिबद्धताओं को छोड़कर आंदोलन में भाग लिया।
इस महा-घेराव ने प्रदेश की भाजपा सरकार के एक साल के कार्यकाल में विफलताओं और जनता से किए गए झूठे वादों को उजागर किया। सिवनी से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भारी भागीदारी ने इस आंदोलन को ऐतिहासिक बना दिया