सिवनी,
राष्ट्रसेविका समिति सिवनी जिले द्वारा पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर के जन्म के त्रिशताब्दी वर्ष पर एक भव्य व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सोमवार को राशि लॉन में संपन्न हुआ। इस अवसर पर समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सुलभा ताई देशपांडे मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं।
सुलभा ताई ने अपने संबोधन में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के अद्वितीय जीवन और कर्तृत्व का वर्णन करते हुए कहा कि उनका जीवन सेवा, त्याग और नारी शक्ति की सशक्त मिसाल है। उन्होंने बताया कि देवी अहिल्याबाई का नाम इतिहास में मात्र ‘अहिल्याबाई’ तक सीमित नहीं है। उन्हें ‘पुण्यश्लोका’, ‘मातोश्री’, और ‘गंगाजल सम निर्मल’ जैसे उपाधियों से सम्मानित किया गया है। यह उपाधियां उनकी पवित्रता, शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक हैं।
ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण और समाज सेवा का कार्य
सुलभा ताई ने बताया कि देवी अहिल्याबाई ने अपने निजी दुखों को समाज के हित में बाधा बनने नहीं दिया। शत्रुओं द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों और घाटों का उन्होंने न केवल पुनर्निर्माण करवाया बल्कि अपने शासनकाल में गरीबों और जरूरतमंदों की हर संभव सहायता की। उनके द्वारा बनाए गए मंदिर और धर्मशालाएं आज भी उनके कर्तृत्व की गाथा सुनाते हैं।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुमन शुक्ला, सुभाष विद्यालय की शिक्षिका उपस्थित रहीं। साथ ही राष्ट्रसेविका समिति महाकौशल प्रांत की प्रांत प्रचारिका एवं अखिल भारतीय सह शारीरिक प्रमुख सुश्री वसुधा सुमन ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
उपस्थित जनों का उत्साह
कार्यक्रम में कुल 125 बंधु-भगिनियों की उपस्थिति रही। सभी ने देवी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया।
राष्ट्रसेविका समिति का संदेश
कार्यक्रम के अंत में सुलभा ताई ने कहा, "हम सभी को देवी अहिल्याबाई के गुणों को अपनाकर देश और समाज के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।"
इस आयोजन ने सिवनी में देवी अहिल्याबाई होलकर की स्मृतियों को जीवंत करते हुए नारी शक्ति और समाज सेवा का संदेश दिया।