केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत हितग्राहीमूलक ऋण प्रदान करने में निजी बैंकों की अनदेखी को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (डीएलसीसी) की बैठक में कलेक्टर मृणाल मीना ने निजी बैंकों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सभी विभागों के शासकीय खातों की समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि निजी बैंक शासकीय योजनाओं में गंभीरता नहीं दिखाते हैं, तो शासकीय खाते निजी बैंकों में क्यों रखे जाएं?
बैंकों के समय में बदलाव
एलडीएम सुशील कुमार ने बैठक में बताया कि 1 जनवरी से जिले में बैंक कार्य समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित रहेगा।
उद्योग और कृषि ऋण पर चर्चा
बैठक में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों जैसे शिक्षा, गृह निर्माण, महिलाओं, कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों को ऋण उपलब्ध कराने के मामले पर भी चर्चा की गई। कलेक्टर ने उद्योग और कृषि क्षेत्र में लक्ष्यों को पूरा न करने वाले बैंकों को सख्त निर्देश दिए।
खाते किराये पर देने के मामले
बैठक में यह बात सामने आई कि कुछ बैंकर्स खाते किराये पर दे रहे हैं। इस मुद्दे पर कलेक्टर ने इसे नियमित एजेंडे में शामिल करने और साइबर सेल की निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए।
आरसेटी प्रशिक्षण सत्र 10 जनवरी से
ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान (आरसेटी) के संचालक एसबी भोंडेकर ने बताया कि 10 जनवरी से प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ होंगे। कलेक्टर ने केंद्र पर सुरक्षा बढ़ाने और सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए।
उद्यम क्रांति योजना की समीक्षा
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 200 लक्ष्यों में से अब तक 60 प्रकरणों में ऋण वितरित किया गया है। कलेक्टर ने शेष 140 प्रकरणों की पुनः जांच और बैंकर्स से समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए।
मार्जिन राशि पर चर्चा
20-25% मार्जिन राशि की बाध्यता वाले प्रकरणों को लेकर कलेक्टर ने एसएलबीसी की बैठक में चर्चा करने के निर्देश दिए। खासकर भीमराव अंबेडकर स्वरोजगार योजना और टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना जैसी योजनाओं के लिए यह चर्चा आवश्यक मानी गई।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ अभिषेक सराफ, नाबार्ड के रोशन महाजन, आरबीआई के एलडीओ सौम्यदीप चटर्जी, और कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
प्रशासन की यह सख्ती शासकीय योजनाओं को और प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।