सफलता की कहानी: डॉक्टरों की काउंसलिंग ने मां को दिलाई याददाश्त, नवजात को मिला स्नेह

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विदिशा: जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों की मेहनत और काउंसलिंग ने 24 वर्षीय सुरभि जैन को गंभीर मानसिक समस्या पोस्टपार्टम साइकोसिस से उबारा, जिससे उनकी याददाश्त लौट आई और वे अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने लगीं।

घटना का विवरण

रायसेन जिले के बाड़ी बरेली की रहने वाली सुरभि जैन, जिन्हें विदिशा जिला चिकित्सालय में सीजर ऑपरेशन से बेटी का जन्म हुआ, प्रसव के तीन दिन बाद पोस्टपार्टम साइकोसिस की शिकार हो गईं। इस स्थिति में उनके व्यवहार में असामान्य बदलाव आ गए। वे अपने परिवार और अस्पताल के अन्य मरीजों से अजीब तरीके से पेश आने लगीं।

यह देख सुरभि के पति ऋतिक जैन और उनके परिजन बेहद चिंतित हो गए। जैसे ही सिविल सर्जन डॉ. आर.एल. सिंह और उनकी टीम को इस समस्या की जानकारी मिली, उन्होंने सुरभि की गहन काउंसलिंग शुरू की।

डॉक्टरों की टीम का प्रयास

डॉ. अनूप वर्मा, डॉ. राकेश अहिरवार, डॉ. अशोक राजपूत और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मला तिवारी की टीम ने सुरभि की दो दिन तक लगातार काउंसलिंग की। इन प्रयासों से सुरभि की मानसिक स्थिति सामान्य हो गई।

पोस्टपार्टम साइकोसिस: कारण और समाधान

डॉ. निर्मला तिवारी ने बताया कि पोस्टपार्टम साइकोसिस एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो प्रसव के एक सप्ताह से तीन महीने के भीतर हो सकती है। इसके लक्षणों में भ्रम, अत्यधिक चिंता, अवसाद, नींद की समस्या और आत्मघाती विचार शामिल हैं।

इसके कारणों में हार्मोनल बदलाव, प्रसव की जटिलताएं, पारिवारिक और सामाजिक दबाव आदि प्रमुख हैं। सही इलाज, काउंसलिंग, दवाएं और परिवार का सहयोग इस स्थिति से उबरने में मदद कर सकते हैं।

परिवार की खुशी और अस्पताल का आभार

सुरभि के पति ऋतिक जैन ने जिला चिकित्सालय की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि डॉक्टरों की इस पहल ने उनकी पत्नी को जीवन में वापस ला दिया है। अब सुरभि अपनी बेटी को स्नेह और पोषण दे पा रही हैं।

नवजात को मिला मां का स्नेह

इस सफलता ने सुरभि जैन को न केवल सामान्य जीवन में वापस लाया, बल्कि उनकी नवजात बच्ची को मां का स्नेह और देखभाल भी दिलाई। विदिशा जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों की यह पहल हर किसी के लिए प्रेरणा है।

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